• मास मीडिया सहायता
केन्द्रीय क्षेत्र की योजना ‘‘कृषि विस्तार को मास मीडिया सहायता’’ किसानों एवं अन्य हितधारकों को प्रौद्योगिकी/सूचना हस्तांतरण के लिए इलेक्ट्रोनिक मीडिया का उपयोग करके देश में विस्तार सेवाओं में सुधार का योगदान करने के लिए 21.01.2004 को शुरू की गई थी। बहुआयामी विस्तार रणनीति के भाग के रुप में, योजना का मुख्य उद्देश्य टेलीविजन, प्रिंट मीडिया एवं रेडियो का उपयोग करके सूचना एवं प्रौद्योगिकियों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार करना है। मीडिया द्वारा बहुत कम कीमत पर व्यापक दर्शकों तक पहुँच बनाई जा सकती है। इसलिए, प्रिंट एवं इलेक्ट्रिक मीडिया को खेत स्तर पर विस्तार सेवाएं पहुँचाने के लिए रणनीति का हिस्सा बनाने के लिए अपनाने की आवश्यकता होगी। योजना का उद्देश्य निम्नलिखित विशिष्ट लक्ष्यों को पूरा करना हैः
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1. आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देते हुए, पूरे देश को कवर करने के लिए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के विषयों के व्यापक स्पेक्ट्रम का समय पर सामयिक ढंग से इलेक्ट्रिानिक मीडिया के विभिन्न माध्यमों के जरिए कार्यक्रमों का प्रसारण/प्रदर्शन करना।
2. अलग-अलग क्षेत्रों की विशिष्ट ज़रूरतों के लिए क्षेत्रीय भाषाओं और स्थानीय बोलियों में कृषि से संबंधित कार्यक्रमों का प्रसार।
3. फोन-इन सुविधा के रुप में सहभागी सुविधाओं के साथ लाइव प्रोग्रामिंग को बढ़ावा देना।
4. आकाशवाणी (एआईआर)/दूरदर्शन (डीडी), विस्तार कार्यकर्ताओं, फील्ड स्तर के अधिकारियों और अन्य पदाधिकारियों के कार्यक्रम के कार्यपालकों/प्रोड्यूसर्स के ज्ञान और विशेषज्ञता के उन्नयन में मदद करने के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरु करना।
5. विज्ञापनों एवं प्रिंट मीडिया में लेखन के माध्यम से सूचना और उपयुक्त प्रौद्योगिकी के उपयोग का प्रसार।
योजना की प्रमुख विशेषताएं
योजना के अंतर्गत, कृषक समुदाय को नवीनतम जानकारी और ज्ञान देने के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्र के विषयों के व्यापक स्पेक्ट्रम कवर करते हुए कार्यक्रमों बनाये जाते है और जिसे प्रसारित करने के लिए दूरदर्शन और आकाशवावणी के मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, ‘‘फोकस प्रचार एवं जागरुकता अभियान’’ के लिए निजी चैनलों का उपयोग भी जारी रहेगा। प्रसार भारती दूरदर्शन और आकाशवाणी के देशव्यापी नेटवर्क के माध्यम से योजना लागू कर रहा है। आज की तारीख में, ‘किसानवाणी’ कार्यक्रम के अंतर्गत 96 एफएम स्टेशन एवं 1 राष्ट्रीय, 18 क्षेत्रीय केन्द्र और आज दूरदर्शन के (36 कार्यक्रम प्रोडक्शन केन्द्र सहित) 180 उच्च शक्ति ट्रांसमीटर (एचपीटी)/लो पावर ट्रांसमीटर (एलपीटी) का भी स्तेमाल किया जा रहा है। परियोजना किसानों और अन्य हितधारकों के बीच - विशेष रुप से महिला कृषकों और लघु एवं सीमांत किसानों को इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से ज्ञान/सूचना का प्रचार/प्रसारण करना है। आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मूल विचार कृषि क्षेत्र के सभी वर्गों को कवर करने के लिए है। इसलिए, दूरदर्शन के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय केन्द्रों से पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए सप्ताह में एक दिन निर्धारित करने को कहा गया है। चूंकि इलेक्ट्राॅनिक मीडिया की पहुँच स्पेक्ट्रम द्वारा होती है अतः सभी वर्ग, क्लास और समाज के सभी तबके स्वाभाविक रुप से इसके अंतर्गत आ जाते हैं। लक्षित दर्शकों के विभिन्न समूहों को जैसे कृषकों, विस्तार कार्यकर्ताओं, खेत-स्तर के कार्यकर्ताओं, कृषि वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और आम जनता के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है।
योजना के घटक
• दूरदर्शन राष्ट्रीय कार्यक्रम
• दूरदर्शन क्षेत्रीय कार्यक्रम
• दूरदर्शन (डीडी) सीमित प्रसारण
• आकाशवाणी (एआईआर) एफएम प्रसारण
• प्रिंट मीडिया
• निगरानी और सहायक गतिविधियाँ
दूरदर्शन का राष्ट्रीय प्रसारण (डीडी-राष्ट्रीय)
दूरदर्शन - राष्ट्रीय कार्यक्रम का उद्देश्य - राष्ट्रीय मुद्दों/विषयों पर सूचना/ज्ञान का प्रसार है। यह कार्यक्रम 16.05.2005 को शुरु किया गया था। आजकल यह 06:30 – 07:00 बजे सुबह डीडी-1 चैनल पर हिंदी में प्रसारित होता है। सप्ताह के छैः दिन 30 मिनट का एक कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा है। कृषि एवं सहकारिता विभाग कार्यक्रम का टेप शनिवार को प्रसारित करने के लिए उपलब्ध कराता है। इनमें सफलता की कहानियां और अच्छी कृषि पद्धतियाँ शामिल हैं (संबद्ध क्षेत्रों सहित)।
दूरदर्शन का क्षेत्रीय प्रसारण (डीडी-क्षेत्रीय)
दूरदर्शन के क्षेत्रीय कार्यक्रम का उद्देश्य क्षेत्र में किसानों को क्षेत्रीय भाषा में जानकारी/ज्ञान को दर्शाना है। ये कार्यक्रम दिनाँक 01.06.2005 को शुरू किये गये थे। क्षेत्रीय कार्यक्रम दूरदर्शन के 18 क्षेत्रीय केन्द्रों से सांय 06:00/06:30 बजे प्रसारित किये जाते हैं। 30 मिनट का यह कार्यक्रम सप्ताह में पांच दिन प्रसारित किया जाता है। आवश्यकताओं और व्यवहार्यता के अनुसार, इन कार्यक्रमों को कभी-कभी संबंधित क्षेत्रीय स्टेशनों या सीमित प्रसारण स्टेशनों पर दोहराया जाता है।
दूरदर्शन का सीमित प्रसारण (डीडी-सीमित प्रसारण)
सीमित प्रसारण कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को उनकी आवश्यकतानुसार स्थानीय रुप से निर्मित कार्यक्रम के माध्यम से स्थानीय भाषा/बोली में जानकारी प्रदान करना है। सीमित प्रसारण कार्यक्रम सांय 06:00/06:30 बजे प्रसारित किये जाते हैं। वर्तमान में, ये कार्यक्रम 36 केन्द्रों में बनाये जा रहे हैं तथा 180 उच्च/कम पावर ट्रांसमीटर (एचपीटी/एलपीटी) से प्रसारित किए जा रहे हैं। यह 30 मिनट के कार्यक्रम हैं तथा सप्ताह के पांच दिन प्रसारित किये जाते हैं। निधि उपलब्धता के आधार पर कुछ और सीमित प्रसारण स्टेशनों को शामिल किया जा सकता है। क्षेत्रीय और सीमित प्रसारण केन्द्रों द्वारा प्रसारित पांचो कार्यक्रमों का अलग-अलग समय रखा गया है ताकि दोनों कार्यक्रमों को देखा जा सके।
आकाशवाणी-एफएम कार्यक्रम
आकाशवाणी-एफएम प्रसारण का उद्देश्य उभरती एफएम तकनीकी का उपयोग करके किसानों को रेडियो प्रसारण के माध्यम से उनकी स्थानीय भाषा/बोली में स्थानीय स्तर पर बनाए गये कार्यक्रमों द्वारा सूचना/ज्ञान जरुरतों को पूरा करना है। संशोधित योजनानुसार इसे 01.04.2005 को शुरु किया गया था। आकाशवाणी के 96 एफएम स्टेशन सप्ताह में छह दिन सांय 06:30-07:00 बजे 30 मिनट का कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं। वर्तमान में कवर किए गये 96 एफएम स्टेशन में से प्रत्येक संबंधित बोलियों/भाषाओं में अलग-अलग कार्यक्रमों का प्रसारण कर रहे हैं। मोबाइल फोन पर एफएम रेडियो की आसान उपलब्धता होने पर, पहले की तुलना में आज एफएम स्टेशनों की व्यापक पहुंच हो सकती है। फिर भी, लागत-लाभ के अनुपात के आधार पर, विभाग का प्रयास वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों जैसे एम्प्लीट यूड मॉडलेशन (एएम), डिज़िटल रेडियो आदि के रुप में जाने का होगा।
प्रिंट मीडिया:
हितधारकों (विशेष रुप से किसानों) की उत्सुकता वीडियो और ऑडियो स्पॉट द्वारा संचालित होने की उम्मीद है। अधिक विस्तृत आदानों - क्षेत्र विशिष्टता की अधिमानतः जानकारी - क्षेत्रीय भाषाओं में प्रिंट विज्ञापनों और लेखन के जरिए दी जाती रहेगी। 6 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार पत्रों का उनके संचलन के आंकडों के आधार पर चयन किया जाएगा।
मास मीडिया दिशा निर्देश